संतोषी माता की कथा और पूजा विधि

0 minutes, 3 seconds Read

 दोस्तों क्या आपको पता है कि संतोषी माता कौन है? अगर नहीं, तो आज का यह आर्टिकल सिर्फ आपके लिए है। क्योंकि आज के  आर्टिकल में हम आपको संतोषी माता के बारे में पूरी जानकारी देने वाले हैं। आज हम आपको बताएंगे कि संतोषी माता कौन है, यह किनकी अवतार हैं, साथ ही साथ हम आपको संतोषी माता की कथा और संतोषी माता की पूजा विधि के बारे में भी पूरी जानकारी देंगे। इसलिए आर्टिकल में आखिरी तक बन रहे तो चलिए शुरू करते हैं।

संतोषी माता कौन है?

 संतोषी माता को माता दुर्गा का ही रूप माना जाता है, जैसा कि उनके नाम से ही पता चल रहा है संतोषी यानी कि संतोष की देवी। कहा जाता है इनकी पूजा करने से व्यक्ति को संतोष की प्राप्ति होती है।  संतोषी माता भगवान गणेश और रिद्धि सिद्धि की पुत्री है, अर्थात संतोषी माता साक्षात महादेव जी की पोती है। इनका महत्व हिंदू धर्म में बहुत ही ज्यादा है, हमारे हिंदू धर्म के अनुसार शुक्रवार का दिन इन्हें समर्पित होता है, आपने 16 शुक्रवार व्रत के बारे में तो सुना ही होगा, इस दौरान संतोषी माता को ही प्रसन्न करने के लिए इस व्रत को किया जाता है, और उनकी पूजा की जाती है। आज के इस आर्टिकल में हम आपको संतोषी माता की पूजा विधि और व्रत के दौरान किए जाने वाले कथा के महत्व के बारे में भी जानकारी देने वाले हैं, तो चलिए आगे बढ़ते हैं।

संतोषी माता कथा क्या है?एस

शुक्रवार के दिन लोग संतोषी माता को प्रसन्न करने के लिए व्रत रखते हैं, और पूरी विधि विधान से संतोषी माता की पूजा करते हैं, जिससे कि संतोषी माता बहुत ही ज्यादा प्रसन्न होती है, और आपको अपना आशीर्वाद प्रदान करती है। संतोषी माता की कृपा से मनुष्य के सारे समस्याएं स्वत: ही समाप्त हो जाते हैं। शुक्रवार के दिन व्रत रखकर संतोषी माता की पूजा करने के दिन हमें एक कथा का पाठ करना होता है, जिसे की संतोषी माता व्रत कथा कहा जाता है। कहा जाता है कि कथा का पाठ करे बिना इस व्रत का फल हमें प्राप्त नहीं होता, इसलिए अगर आप भी शुक्रवार या फिर 16 शुक्रवार का व्रत कर रहे हैं, तो व्रत कर के पूजा के दौरान संतोषी माता व्रत कथा का पाठ जरूर करें। इंटरनेट में आपको आसानी से Santoshi Mata Chalisa मिल जाएगा, जिसकी मदद से आप उसका पाठ करके संतोषी माता को प्रसन्न कर सकते हैं।

संतोषी माता की पूजा विधि

शुक्रवार के दिन माता संतोषी की पूजा की जाती है कई लोग इसे 16 शुक्रवारों तक करते हैं, जिसे कि हम 16 शुक्रवार व्रत के नाम से जानते हैं। इस व्रत को शुक्ल पक्ष के प्रथम शुक्रवार से शुरू करना चाहिए, अगर आप भी 16 शुक्रवार का व्रत करना चाहते हैं, तो नीचे बताए गए विधि से अच्छी तरह से इस व्रत को करके संतोषी माता को प्रसन्न करके उनकी कृपा प्राप्त कर सकते हैं।

 

1: शुक्रवार के दिन आपको सूर्योदय से पहले उठकर स्नान आदि करके स्वच्छ वस्त्र धारण करके अपनी पूजा स्थान पर चले जाना है।

 

2: वहां आपको एक चौकी पर लाल रंग का कपड़ा बिछाकर उसमें माता की प्रतिमा या तस्वीर स्थापित करनी है, और उनके आगे कलश स्थापित करना है।

 

3: इसके बाद आप माता को विविध प्रकार की चीज जैसे कि अक्षत, दूर्वा, फूल, माला, और सिंदूर आदि अर्पित करें, और उसके बाद माता को चने गुड़ और केले का भोग लगाए।

 

4: इसके बाद  माता के प्रतिमा के आगे घी का एक दीपक जलाएं, और धूप बत्ती की मदद से माता की आरती करें, और उसके बाद संतोषी माता व्रत कथा का पाठ करें।

 

5: इसके बाद आप भोग के प्रसाद को अपने घर के सभी सदस्यों में वितरित कर दे और खुद भी ग्रहण करें, और कलश के पानी को घर के हर एक कोने पर छिड़क दें।

webvk.in

Conclusion

उम्मीद है कि अब आपको संतोषी माता और संतोषी माता के पूजा विधि के बारे में पूरी जानकारी मिल गई होगी। तो अब आप हमारे द्वारा बताए गए तरीके से पूरी विधि विधान से संतोषी माता की पूजा करके संतोषी माता की कृपा प्राप्त कर सकते हैं।

Similar Posts