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वरलक्ष्मी व्रत कथा

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 तो दोस्तों जैसा कि सभी को मालूम है कि हिंदू धर्म में पूजा पाठ और व्रत का बहुत ही ज्यादा महत्वपूर्ण स्थान है, खासकर महिलाएं किसी भी विशेष दिन व्रत रखकर पूजा पाठ करती हैं, ताकि घर में सुख समृद्धि बनी रहे। हिंदू धर्म में बहुत सारे व्रत होते हैं उनमें से एक है वरलक्ष्मी व्रत। कहा जाता है कि इस दिन महिलाएं व्रत रखती हैं और वरलक्ष्मी व्रत कथा का पाठ करती हैं, तो क्या आपको वरलक्ष्मी व्रत और व्रत कथा के बारे में पता है? अगर नहीं, तो आज के इस आर्टिकल को पूरा पढ़ें, क्योंकि आज के इस आर्टिकल में हम आपको वरलक्ष्मी व्रत और वरलक्ष्मी व्रत कथा के बारे में पूरी जानकारी देने वाले हैं, तो चलिए शुरू करते हैं।

वरलक्ष्मी व्रत कब किया जाता है?

हम आपको बता दें कि सावन माह के अंतिम शुक्रवार को ही वरलक्ष्मी व्रत किया जाता है, अगर बात करें यह दिन किसको समर्पित होता है, तो हम आपको बता दें कि वरलक्ष्मी व्रत का दिन माता लक्ष्मी को ही समर्पित होता है, सावन महीने के अंतिम शुक्रवार के दिन वरलक्ष्मी के रूप में माता लक्ष्मी की पूजा की जाती है, कहा जाता है कि इस दिन माता लक्ष्मी अपने भक्तों के ऊपर बहुत ही ज्यादा प्रसन्न होती है, और उनको अपना आशीर्वाद प्रदान करती है। इतना ही नहीं, कहा जाता है कि इस दिन व्रत करने के साथ-साथ व्रत कथा का पाठ करना भी बहुत ही ज्यादा जरूरी है, तभी जाकर पूजा का पूरा फल मिलता है। नीचे हमने आपको व्रत कथा के बारे में बताया है।

वर लक्ष्मी व्रत कथा

बहुत समय पहले की बात है, मगध नामक राज्य के अंदर कुंडी नामक एक नगर था, जो कि मगध के बीचो बीच स्थापित था। वहां चारुमति नाम की एक ब्राह्मणी रहती थी, जो कि बहुत कर्तव्यनिष्ठ थी। वह अपने सास ससुर और अपने पति की बहुत ही अच्छी तरह से सेवा करती थी, वह लक्ष्मी जी की भक्त भी थी। एक दिन की बात है, जब वह सो रही थी, तब लक्ष्मी जी ने उस ब्राह्मणी को सपने में दर्शन दिए, और ब्राह्मणी से कहा, कि हे ब्राह्मणी, मैं वरलक्ष्मी हूं, अगर तुम श्रावण मास के अंतिम शुक्रवार को मेरी पूजा करोगी, और व्रत रखोगी, तो तुम्हारी हर मनोकामना पूर्ण होगी, और तुम्हें मेरा आशीर्वाद प्राप्त होगा। 

अगले दिन जब ब्राह्मणी उठी, तो उसने लक्ष्मी जी के कहे अनुसार ही पूरे विधि विधान से अपने आसपास की सभी स्त्रियों के साथ वरलक्ष्मी का व्रत किया, और विधि विधान से लक्ष्मी जी की पूजा की। पूजा करने के बाद जब सभी स्त्रियां मंडप की परिक्रमा कर रही थी, उस दौरान लक्ष्मी जी की कृपा से सब स्त्रियों के शरीर आभूषणों से लद गए, और उनके घर भी सोने के बन गए। इसी के साथ-साथ उन सभी स्त्रियों के घर में हाथी, घोड़े गाय बैल, आदि पशु पक्षी आ गए, जिसके बाद सभी स्त्रियों ने ब्राह्मणी को धन्यवाद दिया, क्योंकि उसी ने उन्हें व लक्ष्मी व्रत के बारे में बताया था।

इसलिए कहा जाता है कि जो भी व्यक्ति  वरलक्ष्मी व्रत को करता है, और इस कथा का पाठ करता है, लक्ष्मी चालीसा करता है उसकी भी हर मनोकामना लक्ष्मी जी की कृपा से पूरी होती है।

वरलक्ष्मी व्रत पूजन कैसे करें?

 प्रातः काल में आप सुबह जल्दी उठ जाए, और स्नान करके अपने पूजन कक्ष में चले जाएं। वहा आपको माता लक्ष्मी की एक प्रतिमा लाल कपड़े के ऊपर स्थापित करनी है, जिसके बाद आपको माता लक्ष्मी की पूजा करनी है,इसके लिए आप उन्हे फूल, माला, इत्र, धूप, दीप, आदि अर्पित करें। इसके बाद आप उन्हें भोग लगाए। इतना करने के बाद आप व्रत कथा का पाठ करें, और माता लक्ष्मी की आरती करें।

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Conclusion

तुम्हें उम्मीद है कि अब आपको अगर लक्ष्मी व्रत और व्रत कथा के बारे में पूरी जानकारी प्राप्त हो गई होगी वैसे भी सावन अभी सावन का महीना चल रहा है तो आप चाहें तो सावन महीने के अंतिम शुक्रवार के दिन कुछ व्रत को करके व्रत कथा का पाठ करते हुए लक्ष्मी जी की कृपा प्राप्त कर सकते हैं।

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