Google Scholarship Program

श्री राणीसती दादी की कथा

0 minutes, 1 second Read

दोस्तों जैसा कि सभी को पता है कि हिंदू धर्म में देवी देवताओं का बहुत ही ज्यादा महत्व है, हिंदू धर्म में बहुत ही ज्यादा देवी देवताओं की पूजा की जाती है। तो दोस्तों आज के इस आर्टिकल में हम आपको एक ऐसी देवी के बारे में बताने वाले हैं, जिन्हे की आज आप और हम रानी सती दादी के नाम से जानते हैं। तो दोस्तों क्या आपको मालूम है की रानी सती दादी कौन है? अगर नहीं, तो आज के इस आर्टिकल में हम आपको रानी सती दादी के कथा के बारे में बताएंगे, जिससे कि आपको यह पता चलेगा कि आखिर रानी सती दादी है कौन, और इनका हिंदू धर्म में क्या महत्व है। तो चलिए बिना किसी देरी के आगे बढ़ते हैं और शुरू करते हैं।

रानी सती दादी कौन है?

तो दोस्तों अगर बात करें रानी सती दादी कौन है, तो हम आपको बता दें इन्हें हम रानी सती दादी के अलावा दादी जी और नारायणी के नाम से भी जानते हैं, जिनकी उत्पत्ति हमारे यानी कि हम सभी मनुष्य का कल्याण करने के लिए हुआ है। अगर बात करें इनके जन्म की, तो इनका जन्म 1638 संवत में कृष्ण शुक्ला के नवमी तिथि को हुआ था, इनका जन्म डोकवा नमक एक गांव में हुआ था। अगर बात करें इनके पिता जी के नाम की तो इनके पिता जी का नाम गुरसामल था। बचपन में इनका नाम नारायणी बाई रखा गया था, बचपन से ही इनके अंदर सभी को एक अलग ही प्रकार की शक्तियां दिखती थी, जिससे की सभी बहुत ही ज्यादा हैरान हो गए थे। तो चलिए आगे बढ़ते हैं और आपको उस कथा के बारे में बताते हैं, जिससे कि आपको रानी सती दादी की उत्पत्ति के बारे में जानने को मिलेगा।

श्री रानी सती दादी की कथा

यह बात है महाभारत के समय की, जब चक्रव्यूह में अभिमन्यु वीरगति को प्राप्त हो गए थे, जिससे दुखी होकर अभिमन्यु की पत्नी उत्तरा भी सती हो गई थी, लेकिन सती होने से पहले उत्तरा को श्री कृष्ण जी ने यह वरदान दिया था, कि कलयुग में तू नारायणी और रानी सती दादी के नाम से जानी जाएगी, कलयुग में तेरी उत्पत्ति लोगों का कल्याण करने के लिए होगा। और तू पूरे संसार में स्थित मनुष्य के द्वारा पूजी जाएगी। कृष्ण जी के वरदान को प्राप्त करके उत्तरा बहुत ही ज्यादा प्रसन्न हुई, और फिर सती हुई। इसी प्रकार कलयुग में यानी कि आज के समय में माता सती दादी की उत्पत्ति हुई, जिनकी उत्पत्ति कृष्ण जी के कहे अनुसार मनुष्य के कल्याण करने के लिए हुआ है। 

रानी सती दादी का विवाह किससे हुआ?

अगर बात करें रानी सती दादी का विवाह किससे हुआ था, तो हम आपको बताने की रानी सती दादी का विवाह हिस्सर राज्य के एक जाने माने सेठ जिनका नाम जलीराम था उनके पुत्र तनधन से हुआ था। इतना ही नहीं रानी सती दादी को शिव जी की पहली पत्नी का अवतार भी माना जाता है, इसलिए हिंदू धर्म में इनका महत्व बहुत ही ज्यादा है। हर वर्ष भादो मास की अमावस्या को सती माता की पूजा और Rani Sati Chalisa की जाती है, राजस्थान के झुंझुनू में माता के मंदिर में हर वर्ष इस दौरान उत्सव का आयोजन किया जाता है।

webvk.in

Conclusion

तो दोस्तों आज हमने आपको रानी सती दादी के बारे में संपूर्ण जानकारी दी, कि इनका जन्म कब कहां और कैसे हुआ था। हमने आपको इनके महत्व के बारे में भी जानकारी दी है। तो अब जब आपको इनके महत्व के बारे में पता चल ही गया है, तो आप भी रानी सती दादी की पूजा करके उन्हें प्रसन्न करके उनकी कृपा प्राप्त कर सकते हैं। क्योंकि जिस भी व्यक्ति से सती दादी प्रसन्न होती है, उस व्यक्ति को किसी भी प्रकार की समस्या नहीं होती है, और उस व्यक्ति का कल्याण निश्चित होता है।

Similar Posts